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हिन्दू पंचांग के अनुसार धनतेरस किस पक्ष में मनाया जाता है? | Hindu Panchang ke Anusar Dhanteras Kis Paksh Mein Manaya Jata Hai

धनतेरस, जिसे धनत्रयोदशी भी कहा जाता है, दीपावली उत्सव की शुभ शुरुआत मानी जाती है। इस दिन भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी और कुबेर देव की पूजा का विशेष महत्व होता है। लेकिन बहुत से लोगों के मन में यह सवाल रहता है — “Hindu Panchang ke Anusar Dhanteras Kis Paksh Mein Manaya Jata Hai?”

Hindu Panchang ke Anusar Dhanteras Kis Paksh Mein Manaya Jata Hai
Hindu Panchang ke Anusar Dhanteras Kis Paksh Mein Manaya Jata Hai

हिन्दू पंचांग के अनुसार, हर तिथि और पक्ष का अपना धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व होता है। आइए जानते हैं कि धनतेरस किस पक्ष में मनाई जाती है, 2025 में इसकी तिथि क्या है, और इस दिन की पूजा विधि व मुहूर्त क्या हैं।


धनतेरस – परिचय और महत्व

धनतेरस (Dhanteras), जिसे धन-त्रयोदशी भी कहा जाता है, दीपावली पर्व की शुरुआत होती है। यह दिन स्वास्थ्य, धन, समृद्धि और शुभता का प्रतीक माना जाता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी, और कुबेर देव की पूजा की जाती है। साथ ही, यम-दीपदान की परंपरा भी होती है, जिससे माना जाता है कि मृत्यु (यमराज) शांत हो और परिवार सुरक्षित रहे।

धनतेरस शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है — “धन” (समृद्धि, संपत्ति) और “तेरस / त्रयोदशी” (चंद्र मास की 13वीं तिथि)।


हिन्दू पंचांग के अनुसार धनतेरस किस पक्ष में मनाया जाता है?

हिन्दू पंचांग (लुनर कैलेंडर) में महीना और पक्ष (पक्ष = शुक्ल / कृष्ण) के आधार पर तिथियाँ निर्धारित होती हैं।

  • धनतेरस कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी (त्रयोदशी = 13वीं तिथि) को मनाया जाता है।
  • अर्थात्, अमावस्या से दो दिन पहले यह दिन आता है।
  • इस दिन की तिथि कार्तिक मास (या हिंदू लूनर कैलेंडर में उसका अनुकूल मास) में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी होती है।
  • इस प्रकार, यह दिन अँधेरे (चंद्रमा की कमी) की ओर जाने वाले पक्ष में आता है।

इसलिये सही उत्तर: धनतेरस कृष्ण पक्ष (कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी) को मनाया जाता है।


2025 में धनतेरस: तिथि और शुभ मुहूर्त

2025 में धनतेरस की तिथि और मुहूर्त विभिन्न पञ्चांग स्रोतों में निम्नलिखित बताए गए हैं:

विवरणजानकारी
दिनांकशनिवार, 18 अक्टूबर 2025 (Drik Panchang)
त्रयोदशी तिथि आरंभ18 अक्टूबर दोपहर लगभग 12:19 बजे से (Prokerala)
त्रयोदशी तिथि समाप्त19 अक्टूबर दोपहर लगभग 1:52 बजे तक (Prokerala)
प्रदोष कालशाम 05:54 बजे से 08:25 बजे तक (लगभग) (Prokerala)
पवित्र पूजा मुहूर्तलगभग 07:16 बजे से 08:20 बजे तक (स्थिर वृषभ लग्न सहित) (Indiatimes)
पूजा की अवधि (स्थिर मुहूर्त)लगभग 1 घंटे तक का समय (कई स्रोतों में 1:04, 1:00, 0:57 इत्यादि) (Drik Panchang)

नोट: ये मुहूर्तिकाएँ सामान्य पँचांग स्रोतों पर आधारित हैं। आपका स्थानीय क्षेत्र (जिला / नगर) के अनुसार समय थोड़ा बदल सकता है। बेहतर होगा कि आप अपने क्षेत्र का स्थानीय पंचांग देखें।


पूजा का महत्व और उद्देश्य

धनतेरस पूजा का उद्देश्य निम्न हैं:

  1. स्वास्थ्य और दीर्घायु — भगवान धन्वंतरि की पूजा कर आयु, स्वास्थ्य और रोग-निवारण की कामना।
  2. समृद्धि और धन — माता लक्ष्मी और कुबेर की पूजा कर संसाधन, संपत्ति एवं वृद्धि की शुभकामना।
  3. रक्षा और सुरक्षा — यमदीपदान कर यमराज को प्रसन्न करने की परंपरा, ताकि परिवार पर समयबद्ध मृत्यु या विपत्ति न आए।
  4. सुबह शुरुआत / व्यापारी शुभ शुरुआत — इस दिन ख़रीदारी करना (सोना, चाँदी, धातु बर्तन आदि) शुभ माना जाता है कि यह निवेश लाभदायक बने।

Also Read: How to Perform Lakshmi Kubera Pooja at Home?


धनतेरस पूजा विधि (पपूजा की सम्पूर्ण विधि)

नीचे एक विस्तृत पूजा विधि दी गई है जिसे श्रद्धा और विधिपूर्वक किया जा सकता है:

(1) तैयारी

  • स्वच्छता: घर और पूजा स्थल की अच्छी तरह से सफाई करें।
  • सज्जा: मुख्य द्वार पर रंगोली, फूल, फ़र (मालाएँ), आभूषण सजाएँ।
  • पूजा सामग्री (समाग्री):
     • गंगाजल (पवित्र जल)
     • कलश + पानी
     • दूर्वा, तुलसी
     • धूप, अगरबत्ती, दीपक (मशाल / दीया)
     • फूल, पुष्पांजलि
     • रोली, चावल
     • मिश्री / मिठाई
     • फल, सुपारी
     • सिक्के / धन सामग्री (यदि खरीदारी की गई हो)
     • मूर्तियाँ / चित्र: भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी, कुबेर देव
     • हल्दी, चन्दन, कपूर

(2) पूजा क्रम (विधि)

  1. प्रथम भगवान गणेश की पूजा
     – गणेश जी की मूर्ति या चित्र को स्नान कराएँ, चन्दन लगाएँ, पुष्प अर्पण करें।
     – मंत्र:
         वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।   निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥   
  2. कुबेर पूजन
     – कुबेर देव की पूजा हेतु पुष्प, फल, मिठाई अर्पण करें।
     – मंत्र:
         ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्यपदाय।   धना-धनाय समुद्भूतं मे देहि दापय स्वाहा ॥   
  3. माता लक्ष्मी पूजन
     – एक Kalash (घड़ा) लें, उसमें पानी, दूर्वा, सुपारी, सिक्के व फूल रखें।
     – उस पर माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
     – रोंगों (चावल) या हल्दी के चिह्न बनाएं।
     – चंदन, हल्दी, रोली, पुष्प अर्पित करें।
     – दीपक जलाएँ और साफ तेल (घी या सरसों) का दीपक रखें।
     – मंत्रों का जाप करें जैसे:
         ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद   ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः ॥   
  4. यमदीपदान (Yama Deep / Yama Dip)
     – घर के बाहर दक्षिण दिशा में (अक्सर घर के पीछे) दीपक जलाएँ।
     – यह दीप यमराज को समर्पित किया जाता है, ताकि उनकी कृपा बनी रहे।
  5. आरती
     – प्रमुख देवताओं की आरती करें।
     – माला या जाप माला से मंत्र जाप जारी रखें।
     – भक्तिभाव से प्राथना करें कि शुभता, समृद्धि और रक्षा बनी रहे।
  6. वापसी और प्रसाद वितरण
     – पूजा की समापन के बाद भक्तों में प्रसाद बाँटें।
     – अगर धनतेरस पर कुछ ख़रीदा हो (सोना, चाँदी, बर्तन आदि), तो उसे पूजा स्थल पर रख कर आरती के बाद उपयोग करें।

क्या-क्या खरीदें (शुभ खरीदारी)

धनतेरस को खरीदारी करना शुभ माना जाता है। यहाँ कुछ ऐसी वस्तुएँ हैं जो इस दिन खरीदी जाती हैं:

  • सोना / चांदी के आभूषण, सिक्के
  • तांबे, पितल, लोहे या अन्य धातु के बर्तन
  • नये घरेलू उपकरण या रसोई सामग्री
  • लक्ष्मी / गणेश की मूर्ति या चित्र
  • दीपक, झाड़ू (symbolically for cleaning negative energy)
  • स्वास्थ्य-संबंधी वस्तुएँ (हर्बल दवाइयाँ, आयुर्वेद सामग्री)

ध्यान दें: यह शुभ है कि खुद के लिए खरीदा जाए। उधार लेकर या किसी चीज़ को बेचकर धनतेरस की खरीदारी नहीं करनी चाहिए।


पौराणिक कथाएँ और महत्वपूर्ण कहानियाँ

  • समुद्र मंथन एवं धन्वंतरि की उत्पत्ति
     समुद्र मंथन के समय भगवान धन्वंतरि अमृत कलश के साथ प्रकट हुए। इसलिए इस दिन उन्हें पूजा जाता है।
  • राजा हेम की कथा और यमदीपदान
     एक कथा के अनुसार राजा हेम का पुत्र एक सांप दंश से मरने वाला था। उसकी पत्नी ने सोने, चांदी और दीपों से घर की एक सजावट की और गीत सुनाकर यमराज को भ्रमित किया। यमराज उस घर में प्रवेश नहीं कर सके। इस घटना के स्मरण में यमदीपदान की परंपरा चली।

निष्कर्ष

  • हिन्दू पंचांग के अनुसार, धनतेरस कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है।
  • 2025 में यह 18 अक्टूबर को है, और पूजा हेतु शुभ मुहूर्त लगभग 07:16 बजे से 08:20 बजे के बीच है।
  • पूजा विधि में गणेश, कुबेर, एवं लक्ष्मी की पूजा, यमदीपदान, मंत्र जाप और आरती शामिल हैं।
  • इस दिन धातु वस्तुओं की खरीदारी शुभ मानी जाती है।
  • यदि पूजा समय सही मुहूर्त में श्रद्धा से किया जाए, तो यह दिन जीवन में समृद्धि, स्वास्थ्य और सुरक्षा का वरदान बन सकता है।

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